Tere sath |
पत्ते झड़ गए पेड़ों से,झरे पत्तों पर,
चलना चाहूँ मैं तेरे साथ....
कभी तू आगे कभी मैं पीछे,गिरते पड़ते,
कदमों से कदम मिलाना चाहूँ मैं तेरे साथ....
ना मैं तेरी आसमाँ, ना तू मेरा है समुंदर,
फिर भी जम के बरसना चाहूँ मैं तेरे साथ....
ख़्वाबों का एक मंज़र है,चटके हुए शीशे में,
हर अक्स मे संवरना चाहूँ मैं तेरे साथ....
तेरा रिश्ता है मेरे अश्कों से, मेरा रिश्ता है तेरे दर्द से,
बेनाम से इस रिश्ते मे बंधना चाहूँ मैं तेरे साथ...
By Seema Hurkat
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