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Saturday, August 10, 2019

Ganesh ji ki amar katha

     
Ganesh ji aur budhiya maa, ganesh ji ki katha
Ganesh ji aur budhiya maa

     
   गणेश जी और बुढ़िया माँ

एक बार गणेश जी को खीर खाने की इच्छा हुई, वे बाल रूप ले कर एक गांव मे पहुंच गए।हाथ मे चार दाने चावल के और चम्मच मे दूध ले कर सब से मनुहार करने लगे कि कोई उन के लिए खीर बना दे।सब ने डांट कर भगा दिया ।एक बुढ़िया थी जो ये सब देख रही थी,उसे बच्चे रूप गणेश पर दया आ गया। उसने आवाज दे कर बुलाया और कहा "ला गनेशिया मैं तेरे लिए खीर बना देती हूँ"।गणेश जी कहने लगे "पर मेरी एक बात मानना पड़ेगा ,तुम्हारे पास जो सब से बड़ी कढ़ाई है उस मे खीर बनाना"।बुढ़िया ने सोचा बच्चा है ज़िद कर रहा है। वह बड़ी सी कढ़ाई में दूध और चावल को डाल देती है। जैसे ही चावल और दूध डालती है वैसे ही पूरी कढ़ाई खीर से भर जाती है। बुढ़िया आश्चर्यचकित रह जाती है। तब गणेश जी कहते है "जा माँ गांव के लोगो को खीर खाने के लिए बुला लो"।डोकरी सब को निमंत्रण देने चली गयी।गांव के लोग सोचते है कल तक तो ये डोकरी भूखे मर रही थी आज खाने पर बुला रही है, कोई बात नही चल कर तमाशा देख लेते है।इधर बुढ़िया की एक बहू थी। खीर बनते देख उस का मन भी खाने को करने लगा । खीर से अदभुत सुगंध आ रही थी। वह सोचने लगी सासु माँ तो सब को खाने पर बुला रही है यदि खीर खत्म हो गया तो उसे खाने को ही नही मिलेगा। उसने मलाई मलाई वाला खीर से एक कटोरा भर लिया उसमें तुलसी छोड़ कर ठाकुर जी को भोग लगाया और चुपचाप दरवाजे के पीछे छिप कर खा लिया। बुढ़िया आयी और गणेश को पुकारने लगी, 'ओ गनेशिया खीर खीर कर था था चल खा ले"।गणेश जी हँसने लगे,"मैं तो खा लिया जब तेरी बहू ने मेरा नाम ले कर भोग लगाया तब ही मेरा पेट भर गया"। बहू शर्मा गयी और गणेश जी के चरण पकड़ लिए कहा मेरा राज तो बता दिया पर अब कभी किसी का मत बताना। बुढ़िया भी गणेश जी के चरणों मे गिर गयी। गणेश जी ने डोकरी के घर को धन धान्य से भर दिया।
                   By Seema Hurkat
                    

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