नाउम्मीद
तस्वीर थी तेरी जिस आईने पर,
उसे तोड़ दी है,कभी तू साथ भी होगा,
उम्मीद ही छोड़ दी है ।.....
एक ख्वाब था कच्चा सा,
एक झूठ था सच्चा सा,
नशा था वहम था,
कुछ इश्क़ का पागलपन था,
छुटा बादलों का साथ,
धूप ओढ़ ली है
कभी तू साथ भी होगा
उम्मीद ही छोड़ दी है.....
हर लम्हा इंतेजार हुआ,
हर लम्हा बेकरार हुआ,
हर पल की तन्हाई में,
दिल मेरा बेइख़्तियार हुआ,
तन्हा सांसे,तन्हा कदम,
राह ही मोड़ ली है,
कभी तू साथ भी होगा,
उम्मीद ही छोड़ दी है....
By Seema Hurkat
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