हिंदी शायरी
हिंदी शायरी शायरी की एक जाने जानी-मानी विधा है । जब मन बहुत खुश हो, जब मन बहुत दुखी हूं ,जब मन उत्साहित हो , जब मन वात्सल्य से भरा हो , जब मन क्रोध से भरा हो ,एक शायर के दिल से हिंदी शायरी निकलती है हिंदी शायर के कलम से हिंदी शायरी का उद्भव होता है एक शायर अपनी तमाम अभिव्यक्ति अपने शायरी पर डाल देता है हिंदी शायरी का जन्म होता है हिंदी शायरी में कई जाने-माने शायर हुए हैं । विश्व के अन्य साहित्य की भांति हिंदी साहित्य का भी अपना महत्वपूर्ण स्थान है। मैं आप लोगों के सामने अपनी हिंदी शायरी की एक छोटी सी कोशिश लेकर आई हूं , आशा है आप सभी को पसंद आएगा । मैं कोशिश करूंगी कि आप सभी को आपके पसंद की हर तरह की हिंदी शायरी पेश करू धन्यवाद।माँ मैं खुद को तन्हा पाता हूँ...
लेन देन की इस दुनिया मे,
रिश्तों का फर्ज़ निभाता हूँ,
है भीड़ बहुत पर तुम बिन,
माँ मै खुद को तन्हा पाता हूँ ।
तेरी दुनिया मै ही मैं,
तू आगे पीछे दौड़ लगाती थी,
खुद खाली कभी आधा पेट,
पर मुझे भर पेट खिलाती थी,
खाता हूँ जीने के लिए,
स्वाद न वो पाता हूँ,
माँ मै खुद को तन्हा पाता हूँ।.....
मेरे हँसते रोते आँसू,
तकलीफ़ बयां कर देती थी,
छिपाता था जो खुद से भी,
तुम वो ख़ामोशी पढ़ लेती थी,
अब कोई समझ न पाता है,
रोता हूँ ,चिल्लाता हूँ,
माँ मैं खुद को तन्हा पाता हूँ।......
हाहाकार मचा अंतस मे,
वो सुकन कहाँ से लाऊँ,
गोद मैं तेरे सिर रख कर,
लोरी मैं पा जाऊँ,
सजल नयन, द्रवित ह्रदय,
दर्द सहेजे हँसता हूँ,
माँ, मै खुद को तन्हा पाता हूँ।
मै खुद को तन्हा पाता हूँ।।...
by Seema Hurkat
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