कुछ घाटा और कुछ नफा हो जानें दो ।
इश्क़ में बरबाद एक दफा हो जानें दो ।।
मैं हर पल हर घड़ी उसकी इबादत में हूँ ,
ख़ुदा ख़ैर करें ज़माने को खफा हो जानें दो ।
जब तसव्वुर में ही हो जाए बोझिल पलकें ,
फिर ये छुवन ये नशा ये वफ़ा हो जानें दो ।
जो घुल न सकीं उसकी रगों में वफाएं ,
तो उसे मत रोको बेवफ़ा हो जानें दो ।।...
By seema hurkat
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