दास्तां दास्तां रोज होती है मेरी खुद से लड़ाई, जीत जाती है मुझसे मेरी तन्हाई, कल धड़कनों ने की थी ज़िद, थम जाने के लिए, कितने ख्वाब दिखलाएं फिर बहलाने के लिए पूछो ना जो हो रही रुसवाई, रोज होती है मेरी खुद से लड़ाई........, By Seema Hurkat
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